Tuesday, February 1, 2011

भारत मेरी नज़र में....

मैं जब अपनी नज़र से भारत को देखता हूँ 
तो पाता  हूँ भ्रष्टाचार  और बेरोज़गारी,
बिन पहिये की ये गाड़ी, जिस पर देश सवार हैं 
इस देश में लाखों बेकार हैं 
तो अपराध नही तो और क्या होगा 
क्या  अपनी सोच जैसा मुक्मल  जहाँ होगा 
नहीं इस जहाँ में कमल जैसे गुण की कीमत कम  पैसो की कीमत ज्यादा हैं
तभी तो हर आदमी पैसा खाता हैं उसे और कुछ नही भाता हैं 

मुझे नज़र आती हैं  गरीबी और बढती जनसँख्या
लोगों के पास पेहेनने को कपडे नही 

पर हमारी सर्कार मानती हैं  सब कुछ हैं सही 
कहती हैं हमारी विकास दर इतनी हैं
पर मुझे यह बतलाओ खाने के लिए रोटी कितनी हैं
 जरा बताओ इन देश के ठेके दारों को की जनसँख्या बढ़ रही हैं 
पर सरकारें तो विकास की नै गाथा गड़ रही हैं
नजाने क्यों ये बात लोग नही समझते 
की एकता ही सबसे बड़ी ताकत हैं
फिर भी हैं आपस में उलझते 
लगता हैं मुझे ही इन्हें बताना होगा 
क्या करना हैं मुझे ही समझाना होगा 

जनसँख्या को कम  करो वर्ना पछताओगे 
एक एक दाने को तरस जाओगे
भ्रष्टाचारी ख़तम नही हुई तो देश का आस्तित्व मिटटी में मिल जाएगा
फिर हमारा यह देश फिरंगियों के  हाथ लग जाएगा
बदलना होगा हमें तभी हम नया इतिहास रचेंगे..............
बदलना होगा हमें तभी हम नया इतिहास रचेंगे..............

4 comments:

  1. good work vishal..
    keep blogging ...

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  2. thnx sir......me new to blogging world...
    any tips.....

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  3. Nyc lines...shabdon ke jeevant prakash se mann praffullit ho uthaa...keep working on such good thoughts...

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