Tuesday, May 3, 2011

उफ़ क़यामत हैं ये लड़कियां


उफ़ क़यामत हैं ये लड़कियां
चुलबुली सी करती अठखेलियाँ 
उफ़ क़यामत हैं ये लड़कियां

1st yr से college में मैं जब आया
तब से इनका जादू मुझ पर छाया
इन्हें अपना बनाने के लिए, किये हमने कितने ही वादे
नजाने कितनो के पीछे हम पागल होके भागे
वर्तिका के हुए कितने ही दीवाने
कितनो की चाह थी की हीना को पा लें
मैंने अनुभूति को प्यार का अनुभव करना चाहा
तो अरुशी को  देख कर ये दिल बोला आहा
ऐश्वर्या थी पसंद किसी और की, पर  किसी और ने पटाई
बस इतने में ही हो गई लड़ाई
शवेता पर कितनो ने लाइन मारी
कहा निधि से तुम हो कितनी प्यारी
मूवी गई रिया, तो shopping mall गई प्रिया
इन्हें पाने के लिए हमने क्या क्या नही किया 

उफ़ क़यामत हैं ये लड़कियां
चुलबुली सी करती अठखेलियाँ 
उफ़ क़यामत हैं ये लड़कियां

साक्षी के साक्ष्य ने मुझे यह बताया 
की लड़कियां भी कम नही ये हैं उल्फत का साया
आँखों में काजल लगा के, जब काजोल college आई 
तो लड़के बनना चाहते थे उसकी परछाई
इशा ने सबको आशान्वित किया
तो शीना को देख कर सबका दम निकल गया 
जोया का दिल रोता हैं ये कहते हुए
की सोता हूँ मैं  कितने proposon को सहते हुए 
कंगना ने जब अपने खंगन खनखाए
तो पायल की आवाज़ से कितने ही दीवाने चले आए 
उफ़ क़यामत हैं ये लड़कियां
चुलबुली सी करती अठखेलियाँ 
उफ़ क़यामत हैं ये लड़कियां

मौसमी इश्क का जब मौसम आया
तब इनको गुलाबी फूल हमने थमाया 
भईया भईया बुला के इन्होने हमें चिडाया 
और कोई किसी चक्कर में ना आई
सभी ने अपनी अकाल लगाई 
और अपनी sandal हमें दिखाई 
पर फिर भी,
सुरभि के हुए सौरभ और छवि के रवि
इक और कहानी शुरू हो गई नई

जाते जाते शिवांगी ने मेरे कानो में यह कह दिया 

उफ़ क़यामत हैं ये लड़कियां
चुलबुली सी करती अठखेलियाँ 
उफ़ क़यामत हैं ये लड़कियां………

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